कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने स
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने स